जो दुनिया से छुपाना चाहता है
मुझे देखो कि मैं उस को ही चाहूं
जिसे सारा ज़माना चाहता है
क़लम करना कहां है उस की मंशा
वो मेरा सर झुकाना चाहता है
शिकायत का धुआं आंखों से दिल तक
तअ'ल्लुक़ टूट जाना चाहता है
तक़ाज़ा वक़्त का कुछ भी हो ये दिल
वही क़िस्सा पुराना चाहता है
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