Sunday, May 2, 2021

जो मिला वो कम था क्या

दिले ख्वाहिश दिल में ही दफ्न रह गई।

मिले कोई जो होकर मेरा समझता मुझे।।
जिस तरह हो के तेरा टूटकर चाहा तुझे।
जो मिलता कोई अपना जो चाहता मुझे।।
कुछ लम्हों में जी लेती मेरी तमाम जिंदगी।
गर होती रूबरू तेरे इश्क से मेरी जिंदगी।।
जो मुकम्मल होती मेरी राहें मुहब्बत की।
तो कैसे लिखती मेरी कलम बात एहसासों की।।
सोचा चलो चलते हैं , इश्क़ की मंजिल न मिली तो गम क्या।
खूबसूरत बनाएं अपने सफर को, जो मिला वो कम था क्या।।

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