कैसे कहें कि खामोशियों को चीखते देखा है ...
आस-पास बेमतलब सी चीजों की मौजूदगी क्यों??
मैंने दूर जाते अपनों को बहुत नज़दीक से देखा है...
कुछ रिश्ते निभा लिए गए बेसबब ही जिंदगी भर
कुछ रिश्तों को बेवज़ह उलझते देखा है...
कैसे बुन लें पूरे सफर का ख्वाब बंद आंखों से
खुली आँखों से जब पल में मंजर को बदलते देखा है...
कहना, सुनना, देखना ,छू पाना...बहुत आसानी है इन बातों में
मैंने सनसनी हवाओं को चुप होकर गुज़रते देखा है।
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