Sunday, May 2, 2021

बारिशों में जल गये होते


जिंदगी ने संभलने से रोका हमें,

शराबों में क्या नशा कि बहक जाते।

सिरफिरे न होते तो शायर क्या होते,
खामियां न होती तो कुछ भी न होते।

आज ही तो उठकर चलने लगे हम,
न मिलतेे तुम तोे उम्रभर सोये रहते।

तेरी सांसों ने बुझा दी सीने की आग,
वरना हम तो बारिशों में जल गये होते।

न होता कोई हमदर्द दुनिया में मंज़र,
गर आसमां से तारे न आंगन में गिरते।

No comments: