जिंदगी ने संभलने से रोका हमें,
शराबों में क्या नशा कि बहक जाते।
सिरफिरे न होते तो शायर क्या होते,
खामियां न होती तो कुछ भी न होते।
आज ही तो उठकर चलने लगे हम,
न मिलतेे तुम तोे उम्रभर सोये रहते।
तेरी सांसों ने बुझा दी सीने की आग,
वरना हम तो बारिशों में जल गये होते।
न होता कोई हमदर्द दुनिया में मंज़र,
गर आसमां से तारे न आंगन में गिरते।
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