फिर एक दिन तुम सबका भी, मन भर जाएगा..
हम फिर भी कुछ न कहेंगे किसी से
आंसू फिर पियेंगे, दर्द सहेंगे सही से..
फ़ितरत ही रही ऎसी, हमेशा हमारी
हर शख्स अपना हो, मंज़िल थी बना ली..
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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