Friday, February 14, 2025

बसंत Shayari Spring Season

 मुंह पर नक़ाब-ए-ज़र्द हर इक जुल्फ़ पर गुलाल,

होली की शाम ही तो सहर है बसंत की.

- लाला माधव राम जौहर


पत्ते नहीं चमन में खड़कते तिरे बगैर, 

करती है इस लिबास में हर दम फुगा बसंत

-Insha Alla


हम-रंग की है द्रन निकल अशरफ़ी के साथ, 

पाता है आ के रंग-ए-तलाई यहां बसंत

- मुनीर शिकोहाबादी


दिल को बहुत अज़ीज़ है आना बसंत का, 

'रहबर' की ज़िंदगी में समाना बसंत का

- जितेन्द्र मोहन सिन्हा रहबर


साक़ी कुछ आज तुझ को ख़बर है बसंत की, 

हर सू बहार पेश-ए-नज़र है बसंत की

_ उफ़क़ लखनवी


अब के बसंत आई. तो आँखें:उजड़ गईं, 

सरसोंके खेत में कोई पेंत्ता हरा न था

-Bimal Krishna Ashk


आया बसंत फूल भी शोलों में ढल गए, 

मैं चूमने लगा तो मिरे होंट जल गए.

- कुमार पाशी


कुदरत की बरकतें हैं ख़ज़ाना बसंत का, 

कया ख़ूब कया अजीब ज़माना बसंत का

- जितेन्द्र मोहन सिन्हा रहबर      


जा तू ने लगाई अब की ये क्या आग ऐ बसंत, 

जिस से कि दिल की आग उठे जाग ऐ बसंत

-Insha Alla



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