Wednesday, February 26, 2025

अभी कुछ बेक़रारी है

उम्र-ए-दराज़ माँग के लाई थी चार दिन

दो आरज़ू में कट गए दो इंतिज़ार में.

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यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहीं

मुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे

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हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएँगे
अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ
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अंदाज़ अपना देखते हैं आइने में वो
और ये भी देखते हैं कोई देखता न हो
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दोस्ती जब किसी से की जाये
दुश्मनों की भी राय ली जाये
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तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही
तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ
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तुम ज़माने की राह से आए
वर्ना सीधा था रास्ता दिल का





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दोस्ती जब किसी से की जाये
दुश्मनों की भी राय ली जाये

मौत का ज़हर है फ़िज़ाओं में
अब कहाँ जा के साँस ली जाये

बस इसी सोच में हूँ डूबा हुआ
ये नदी कैसे पार की जाये

मेरे माज़ी के ज़ख़्म भरने लगे
आज फिर कोई भूल की जाये

(माज़ी = बीता हुआ समय)

बोतलें खोल के तो पी बरसों
आज दिल खोल कर भी पी जाये

-राहत इंदौरी
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