Friday, February 21, 2025

दोस्त दोस्ती यार शायरी

अगर तुम्हारी अना ही का है सवाल तो फिर

चलो मैं हाथ बढ़ाता हूँ दोस्ती के लिए

अहमद फ़राज़

*

ये कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेह

कोई चारासाज़ होता कोई ग़म-गुसार होता

मिर्ज़ा ग़ालिब

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हम को यारों ने याद भी न रखा

'जौन' यारों के यार थे हम तो

जौन एलिया

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पत्थर तो हज़ारों ने मारे थे मुझे लेकिन

जो दिल पे लगा आ कर इक दोस्त ने मारा है

सुहैल अज़ीमाबादी

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दोस्ती ख़्वाब है और ख़्वाब की ता'बीर भी है

रिश्ता-ए-इश्क़ भी है याद की ज़ंजीर भी है

अज्ञात

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दोस्त दिल रखने को करते हैं बहाने क्या क्या

रोज़ झूटी ख़बर-ए-वस्ल सुना जाते हैं

लाला माधव राम जौहर

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तोड़ कर आज ग़लत-फ़हमी की दीवारों को

दोस्तो अपने तअ'ल्लुक़ को सँवारा जाए

संतोष खिरवड़कर

*

दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्त

दोस्त मिलता है बड़ी मुश्किल से

हफ़ीज़ होशियारपुरी

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