1. मैं चाहता था कि उस को गुलाब पेश करूं
वो ख़ुद गुलाब था उस को गुलाब क्या देता
- अफ़ज़ल इलाहाबादी
2. भरी बहार में इक शाख़ पर खिला है गुलाब
कि जैसे तू ने हथेली पे गाल रक्खा है
- अहमद फ़राज़
3. बुरी सरिश्त न बदली जगह बदलने से
चमन में आ के भी काँटा गुलाब हो न सका
- आरज़ू लखनवी
4. नाज़ुकी उस के लब की क्या कहिए
पंखुड़ी इक गुलाब की सी है
- मीर तक़ी मीर
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5. कभी गुलाब से आने लगी महक उस की
कभी वो अंजुम ओ महताब से निकल आया
- महबूब ज़फ़र
7. नए दौर के नए ख़्वाब हैं नए मौसमों के गुलाब हैं
ये मोहब्बतों के चराग़ हैं इन्हें नफ़रतों की हवा न दे
- बशीर बद्र
8. सुनो कि अब हम गुलाब देंगे गुलाब लेंगे
मोहब्बतों में कोई ख़सारा नहीं चलेगा
- जावेद अनवर
9. बिछे थे राहों में फूल कितने
जो भा गया वो गुलाब हो तुम
- साइमा नसीम बानो
10. फिर याद आ गए वही कॉलेज के दिन मुझे
सूखे गुलाब निकले पुरानी किताब से
- शायान क़ुरैशी
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11. कहां चराग़ जलाएं कहां गुलाब रखें
छतें तो मिलती हैं लेकिन मकाँ नहीं मिलता
- निदा फ़ाज़ली
12. फूलों की सेज पर ज़रा आराम क्या किया
उस गुल-बदन पे नक़्श उठ आए गुलाब के
- आदिल मंसूरी
13. दिन में आने लगे हैं ख़्वाब मुझे
उस ने भेजा है इक गुलाब मुझे
- इफ़्तिख़ार राग़िब
14. निकल गुलाब की मुट्ठी से और ख़ुशबू बन
मैं भागता हूं तिरे पीछे और तू जुगनू बन
- जावेद अनवर
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15. मैं ने भेजी थी गुलाबों की बशारत उस को
तोहफ़तन उस ने भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा भेजी है
- हामिद सरोश
16. बसी है सूखे गुलाबों की बात सांसों में
कोई ख़याल किसी याद के हिसार में है
- ख़ालिदा उज़्मा
17. आप से जो भी ख़ार खाते हैं
उन की ख़ातिर गुलाब ले जाओ
- मीनाक्षी जिजीविषा
18. किसी के लम्स की तासीर है कि बरसों बा'द
मिरी किताबों में अब भी गुलाब जागते हैं
- अख़लाक़ बन्दवी
19. उसे किसी से मोहब्बत न थी मगर उस ने
गुलाब तोड़ के दुनिया को शक में डाल दिया
- दिलावर अली आज़र
20. अब इत्र भी मलो तो तकल्लुफ़ की बू कहाँ
वो दिन हवा हुए जो पसीना गुलाब था
- लाला माधव राम जौहर
21. तिरे बदन की महक को गुलाब से तश्बीह
कि जैसे कोई दिखाए चराग़ सूरज को
- मारूफ़ रायबरेलवी
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