Friday, February 14, 2025

सवाल गुम जवाब गुम बड़ी हसीन रात थी - सुदर्शन फ़ाकिर

 चराग़-ओ-आफ़ताब गुम बड़ी हसीन रात थी

शबाब की नक़ाब गुम बड़ी हसीन रात थी


मुझे पिला रहे थे वो कि ख़ुद ही शम' बुझ गई

गिलास गुम शराब गुम बड़ी हसीन रात थी


लिखा था जिस किताब में कि 'इश्क़ तो हराम है

हुई वही किताब गुम बड़ी हसीन रात थी


लबों से लब जो मिल गए लबों से लब ही सिल गए

सवाल गुम जवाब गुम बड़ी हसीन रात थी.

-

सुदर्शन फ़ाकिर

No comments: