नहीं होती है राह-ए-इश्क़ में आसान मंज़िल
सफ़र में भी तो सदियों की मसाफ़त चाहिए है
- फ़रहत नदीम हुमायूँ
दिन भर तो मैं दुनिया के धंदों में खोया रहा.
जब दीवारों से धूप ढली तुम याद आए
-नासिर काज़मी
मोहब्बत एक दम दुख का मुदावा कर नहीं देती
ये तितली बैठती है ज़ख़्म पर आहिस्ता आहिस्ता
- अब्बास ताबिश
मुश्किल था कुछ तो इश्क़ की बाज़ी को जीतना
कुछ जीतने के ख़ौफ़ से हारे चले गए
-शकील बदायूंनी
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