Friday, February 14, 2025

मुश्किल था कुछ तो इश्क़ की बाज़ी

नहीं होती है राह-ए-इश्क़ में आसान मंज़िल

सफ़र में भी तो सदियों की मसाफ़त चाहिए है

- फ़रहत नदीम हुमायूँ


दिन भर तो मैं दुनिया के धंदों में खोया रहा.                                                       

जब दीवारों से धूप ढली तुम याद आए

-नासिर काज़मी


मोहब्बत एक दम दुख का मुदावा कर नहीं देती

ये तितली बैठती है ज़ख़्म पर आहिस्ता आहिस्ता

- अब्बास ताबिश


मुश्किल था कुछ तो इश्क़ की बाज़ी को जीतना

कुछ जीतने के ख़ौफ़ से हारे चले गए

-शकील बदायूंनी

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