Saturday, January 11, 2020

गाहे गाहे बस अब यही हो क्या

गाहे गाहे बस अब यही हो क्या 
तुम से मिल कर बहुत ख़ुशी हो क्या 

मिल रही हो बड़े तपाक के साथ 
मुझ को यकसर भुला चुकी हो क्या 

याद हैं अब भी अपने ख़्वाब तुम्हें 
मुझ से मिल कर उदास भी हो क्या 

बस मुझे यूँही इक ख़याल आया 
सोचती हो तो सोचती हो क्या बस अब यही हो क्या 
तुम से मिल कर बहुत ख़ुशी हो क्या 

मिल रही हो बड़े तपाक के साथ 
मुझ को यकसर भुला चुकी हो क्या 

याद हैं अब भी अपने ख़्वाब तुम्हें 
मुझ से मिल कर उदास भी हो क्या 

बस मुझे यूँही इक ख़याल आया 
सोचती हो तो सोचती हो क्या 

अब मिरी कोई ज़िंदगी ही नहीं 
अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या 

क्या कहा इश्क़ जावेदानी है! 
आख़िरी बार मिल रही हो क्या 

हाँ फ़ज़ा याँ की सोई सोई सी है 
तो बहुत तेज़ रौशनी हो क्या 
मेरे सब तंज़ बे-असर ही रहे 
तुम बहुत दूर जा चुकी हो क्या 

दिल में अब सोज़-ए-इंतिज़ार नहीं 
शम-ए-उम्मीद बुझ गई हो क्या 

इस समुंदर पे तिश्ना-काम हूँ मैं 
बान तुम अब भी बह रही हो क्या 

~जौन एलिया

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