लाख भुलाना चाहा, मगर भूला न सके!
ये गम नहीं कि हुए हम, इस कदर रुसवा,
मलाल ये है कि, जगह तुम्हारे दिल में पा न सके!
तुम मिल गए थे, मगर मिलके क्या हुआ हासिल,
दिल से दिल मिले, रूह से रूह मिला न सके!!
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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