कुंदन की तरह दहर में ताबिंदा रहेंगे,
तारीख़ बताती है कि हर दौर-ए-सितम में,
हम ज़िन्दा थे,हम ज़िन्दा हैं,हम ज़िन्दा रहेंगे !
दहर = दुनिया
ताबिंदा = चमकता हुआ
तारीख़ = इतिहास
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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