आता है तरल की तरह
बहता हुआ
जब ठहरता है तो
ठहरता है ठोस की तरह
आकार सहित
जब जाता है तो
होता है पकड़ से बाहर
हवा की तरह
पानी के बाद प्रेम ही है
जो पाया जाता है
पदार्थ की तीनों अवस्थाओं में..
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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