वरना यूँ तो गली के मुर्गे के सर पे भी ताज होता है।
मिल सके आसानी से उसकी ख्वाहिश किसे है?
ज़िद तो उसकी है, जो मुकद्दर में लिखा ही नहीं।
जो कल तक हमारे दम पर उड़ते थे,
वो आज मुझे आसमान के बारे में बता रहे है।
दुश्मन हमेशा दमदार लोगो के होते है,
कमजोरो से तो लोग हमदर्दी रखते है।
परख ना सकोगे ऐसी शख्सियत है मेरी,
मैं अच्छा सिर्फ उन्हीं के लिए हूँ जो जाने कदर मेरी!
मुँह पर सच बोलने की आदत हैं मुझे,
इसलिए लोग मुझें बदतमीज कहते है!
हम ना बदलेंगे वक़्त की रफ़्तार के साथ,
जब भी मिलेंगे अंदाज़ पुराना ही होगा!
अच्छे विचारों का असर आज कल इसलिए नहीं होता,
क्यूंकि लिखने वाले और पढने वाले दोनो ये समझते है कि ये दूसरों के लिए है!
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