Friday, January 24, 2020

वो चांदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है

वो चांदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है, 
बहुत अज़ीज़ हमें है मगर पराया है! 

उसे किसी की मोहब्बत का ऐतबार नहीं, 
उसे ज़माने ने शायद बहुत सताया है! 

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