Sunday, January 12, 2020

फिर भी नहीं हैं आंखें नम

लाखों सदमें ढेरों ग़म
फिर भी नहीं हैं आंखें नम,

इक मुद्दत से रोए नहीं,
क्या पत्थर के हो गए हम...

अज़्म शाकरी 😊

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