Sunday, January 12, 2020

मोहब्बत के बिना है ज़िंदगी बेकार लिखती है

तू अपनी चिट्ठियों में मीर के अशार लिखती है
मोहब्बत के बिना है ज़िंदगी बेकार लिखती है,

तेरे खत तो इबारत है वफ़ादारी की कसमों से
जिन्हें में पढ़ते डरता हूँ वही हर बार लिखती है! 

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