आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
मेरे हुजरे में नहीं, और कहीं पर रख दो, आसमां लाये हो, ले आओ ज़मीं पर रख दो! अब कहाँ ढूंढ़ने जाओगे हमारे कातिल, आप तो क़त्ल का इल्ज़ाम हमीं पर रख दो!
~राहत इंडोरी
Post a Comment
No comments:
Post a Comment