आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
खुदा एक का नही सबका होता है , मुझे तो एक हमसफर चहिए था जो मेरा होता .....
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