Friday, June 7, 2019

हौसलों से उड़ते हैं


कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं,
कभी धुएं की तरह पर्बतों से उड़ते हैं....
ये कैंचियां हमें उड़ने से खाक रोकेंगी,
के हम परों से नहीं हौंसलों से उड़ते हैं!

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