Tuesday, June 25, 2019

शाम ऐ महफिल, शायरी की जुबाँ, हाल ऐ दिल

जमने दो आज शाम ए महफ़िल,
चलो आज शायरी की जुबां मे बहते हैं!
तुम उठा लाओ ग़ालिब की किताब,
हम अपना हाल ऐ दिल कहते हैं !

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