Thursday, June 27, 2019

तेरे दीदार की चाहत, मुकम्मल

मुक्कमल इश्क़ की तलबगार नहीं होती आँखें,
थोड़ा - थोड़ा ही सही,
रोज़ तेरे दीदार की चाहत करती हैं!

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