आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
ज़िक्र तुम्हारा हर लफ़्ज़ में करेंगे... बेफ़िक्र रहो, तुम्हारा नाम नहीं लेंगे..!!
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