Saturday, June 29, 2019

तपिश शायरी

#तपिश और धूप में हम पल रहे हैं
हमारे सर पे कब बादल रहे हैं!
.
बस यही सोच कर हर #तपिश में जलता आया हूं
धूप कितनी भी तेज़ हो #समन्दर नहीं सूखा करते!
.

कभी पिघलेंगे पत्थर भी मोहब्बत की तपिश पा कर,
बस यहीं सोच कर हम पत्थर से दिल लगा बैठे!
.
मुझमें नूर और तपिश उसने फूंकी है
यूँही नहीं मैं आफ़ताब-ए-अर्श उजालों का!
.

इश्क़ में  वो  कशिश है प्यारे
कि सर्द में भी तपिश है प्यारे
*

उसे ख़बर है कि अंजाम-ए-वस्ल क्या होगा ,
वो  क़ुर्बतों  की  तपिश  फ़ासले में  रखती  है!

Kurbat - nearness, vicinity
.

~खालिद युसुफ़उसकी मोहब्बत की तपिश ने हमें यूँ राख किया
जल रहा था जो लम्हा लम्हा ..  फिर पूरा ख़ाक किया!
.
वस्ल ने तो मुझे शिद्दत की #तपिश में रक्खा
हिज्र था जिस ने मुझे साया-ए-दीवार दिया!

.
एहतिमाम सादिक़कर ले आंच ज़रा कम अपने एहसासों की
फ़ासलों से भी तेरी तपिश सुलगाए है मुझे!
-

No comments: