#तपिश और धूप में हम पल रहे हैं
हमारे सर पे कब बादल रहे हैं!
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बस यही सोच कर हर #तपिश में जलता आया हूं
धूप कितनी भी तेज़ हो #समन्दर नहीं सूखा करते!
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कभी पिघलेंगे पत्थर भी मोहब्बत की तपिश पा कर,
बस यहीं सोच कर हम पत्थर से दिल लगा बैठे!
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मुझमें नूर और तपिश उसने फूंकी है
यूँही नहीं मैं आफ़ताब-ए-अर्श उजालों का!
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इश्क़ में वो कशिश है प्यारे
कि सर्द में भी तपिश है प्यारे
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उसे ख़बर है कि अंजाम-ए-वस्ल क्या होगा ,
वो क़ुर्बतों की तपिश फ़ासले में रखती है!
Kurbat - nearness, vicinity
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~खालिद युसुफ़उसकी मोहब्बत की तपिश ने हमें यूँ राख किया
जल रहा था जो लम्हा लम्हा .. फिर पूरा ख़ाक किया!
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वस्ल ने तो मुझे शिद्दत की #तपिश में रक्खा
हिज्र था जिस ने मुझे साया-ए-दीवार दिया!
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एहतिमाम सादिक़कर ले आंच ज़रा कम अपने एहसासों की
फ़ासलों से भी तेरी तपिश सुलगाए है मुझे!
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