याद आती रहीं हर रात मुझे तुम्हारी आँखें,
जाने कितने दिनों से मैनें नहीं देखीं ऑंखें ।
वो आँखें जिनमें बसती थी दुनिया हमारी ,
अब किसी और की दुनिया बन गई ऑंखें ।
मैनें आँखों में कई ख़ाब-ओ-अरमां रखे थे,
मेरे पास से जब गई तो सब ले गईं ऑंखें
दर्द- ए-सफ़र में जब कोई साथ नहीं मेरे,
याद आई उन आँखों की भर आई ऑंखें!
ये आँखे भी कमबख़्त अभी समझ न पाईं ,
उन आँखों की जगह नहीं भर सकतीं ऑंखें!
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