Saturday, October 7, 2023

थोड़ा सा प्यार भी मुझे दे दो सज़ा के साथ

की है कोई हसीन ख़ता हर ख़ता के साथ 

थोड़ा सा प्यार भी मुझे दे दो सज़ा के साथ 

गर डूबना ही अपना मुक़द्दर है तो सुनो 
डूबेंगे हम ज़रूर मगर नाख़ुदा के साथ 

मंज़िल से वो भी दूर था और हम भी दूर थे 
हम ने भी धूल उड़ाई बहुत रहनुमा के साथ 

रक़्स-ए-सबा के जश्न में हम तुम भी नाचते 
ऐ काश तुम भी आ गए होते सबा के साथ 

इक्कीसवीं सदी की तरफ़ हम चले तो हैं 
फ़ित्ने भी जाग उट्ठे हैं आवाज़-ए-पा के साथ 

ऐसा लगा ग़रीबी की रेखा से हूँ बुलंद 
पूछा किसी ने हाल कुछ ऐसी अदा के साथ 


Kaifi Azmi 


No comments: