अपना अपना रास्ता है कुछ नही,
क्या भला है क्या बुरा है कुछ नही !
जुस्तजू है एक मुसलसल जुस्तजू,
क्या कही कुछ खो गया है कुछ नही !
मोहर मेरे नाम की हर शय पे है,
मेरे घर मे मेरा क्या है कुछ नही !
कहने वाले अपनी अपनी कह गए,
मुझसे पुछ क्या सुना है कुछ नही !
कोई दरवाजे पे है तो क्या हुआ,
आप से कुछ मांगता है कुछ नही !!
(अख्तर नाझमी )
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