Monday, October 9, 2023

अब ऐसा इंसां नेक कहाँ

 अपनों के जो संग चले,

अब ऐसा इंसां नेक कहाॅं।
सही ग़लत में फर्क करें,
अब ऐसी नजरें देख कहाॅं।
हम से तुम हो गए,
"मैं" जो बीच में आया।
कड़ी दोपहरी धूप में,
दूर हुआ खुद का भी साया।
देखो कैसी यह होड़ लगी,
किसके लिए यह दौड़ लगी ।
इंसां को ना इंसां से वास्ता,
अहम ने चुना हिंसा का रास्ता।
देखो कैसे यह भटक रहा,
इंसां, इंसां की नजर में खटक रहा।
प्रेम भूल माया में फंसा,
इंसां तू इंसां पर ही हंसा।
अब भी जरा ले खुद को संभाल,
फिर ना करना कोई सवाल।

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