खुलकर ये बात स्वीकार करता हूं
कि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं
............................इसीलिए
अपने प्यार का इजहार करता हूं
आँखों में रहा दिल में उतरकर नहीं देखा,
कश्ती के मुशाफिर समंदर नहीं देखा,
पत्थर कहता है मुझे मेरा चाहने वाला,
मैं मोम हूँ उसने मुझे छु कर नहीं देखा।
मेरे दिल की मजबूरी को कोई इल्जाम ना दे,
मुझे याद रख बेशक मेरा नाम ना ले,
तेरा वहम है की मैंने भुला दिया तुझे,
मेरी एक सांस ऐसी नही जो तेरा नाम ना ले !!
मेरी सारी हसरतें मचल गयी..
जब तुमने सोचा एक पल के लिए
अंजाम-ए- दीवानगी क्या होगी
जब तुम मिलोगी मुझे उम्र भर के लिए
फिजा में महकती शाम हो तुम,
प्यार में झलकता जाम हो तुम
सीने में छुपाए फिरते हैं हम यादें तुम्हारी
इसलिए मेरी जिंदगी का दूसरा नाम हो तुम।
कसूर तो था ही इन निगाहों का
जो चुपके से दीदार कर बैठा
हमने तो खामोश रहने की ठानी थी
पर बेवफा ये ज़ुबान इज़हार कर बैठा
अगर तुम न होते तो ग़ज़ल कौन कहता,
तुम्हारे चेहरे को कमल कौन कहता,
यह तो करिश्मा है मोहब्बत का,
वरना पत्थर को ताज महल कौन कहता!!
फिर न सिमटेगी मोहब्बत जो बिखर जायेगी,
जिंदगी जुल्फ नहीं जो फिर सवंर जायेगी,
थाम लो हाथ उसका जो प्यार करे तुमसे,
ये जिंदगी ठहरेगी नहीं जो गुजर जायेगी।
इश्क पर जोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’
कि लगाए न लगे और बुझाए न बने
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक
कौन जीता है तेरी जुल्फ के सर होने तक
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