Wednesday, February 15, 2023

तेरे इश्क पर जो मेरा इख्तियार है

तेरे इश्क पर जो मेरा इख्तियार है

पक्का है अब कंगाल नहीं मरुंगा मैं 

तेरी नज़रों के दायरे में वजूद है मेरा 
पक्का है अब बेहाल नहीं मरुंगा मैं 

मेरा ज़िक्र है तेरी गुफ्तगू में अक्सर 
पक्का है लिए ख्याव नहीं मरुंगा मैं 

रहनुमा जो है तू मेरा राहे जिंदगी में 
पक्का है अब गुमराह नहीं मरुंगा मैं 

पहचान जो मिली है तेरे नाम से मुझे 
पक्का है अब गुमनाम नहीं मरुंगा मैं 

थाम लिया है मुझे जो तेरे हाथों ने 
पक्का है लाखों लाख नहीं मरुंगा मैं 

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