तेरे इश्क पर जो मेरा इख्तियार है
पक्का है अब कंगाल नहीं मरुंगा मैं
तेरी नज़रों के दायरे में वजूद है मेरा
पक्का है अब बेहाल नहीं मरुंगा मैं
मेरा ज़िक्र है तेरी गुफ्तगू में अक्सर
पक्का है लिए ख्याव नहीं मरुंगा मैं
रहनुमा जो है तू मेरा राहे जिंदगी में
पक्का है अब गुमराह नहीं मरुंगा मैं
पहचान जो मिली है तेरे नाम से मुझे
पक्का है अब गुमनाम नहीं मरुंगा मैं
थाम लिया है मुझे जो तेरे हाथों ने
पक्का है लाखों लाख नहीं मरुंगा मैं
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