Monday, February 27, 2023

ज़िंदा रहें तो क्या है जो मर जाएँ हम तो क्या

ज़िंदा रहें तो क्या है जो मर जाएँ हम तो क्या 
दुनिया से ख़ामुशी से गुज़र जाएँ हम तो क्या 

हस्ती ही अपनी क्या है ज़माने के सामने 
इक ख़्वाब हैं जहाँ में बिखर जाएँ हम तो क्या

अब कौन मुंतज़िर है हमारे लिए वहाँ 
शाम आ गई है लौट के घर जाएँ हम तो क्या 

दिल की ख़लिश तो साथ रहेगी तमाम उम्र 
दरिया-ए-ग़म के पार उतर जाएँ हम तो क्या 


मुनीर नियाज़ी


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