Friday, February 17, 2023

चलो फिर से दिल जलाएँ

चलो फिर से मुस्कुराएँ 
चलो फिर से दिल जलाएँ 

जो गुज़र गईं हैं रातें 
उन्हें फिर जगा के लाएँ 
जो बिसर गईं हैं बातें 
उन्हें याद में बुलाएँ 
चलो फिर से दिल लगाएँ 
चलो फिर से मुस्कुराएँ 

किसी शह-नशीं पे झलकी 
वो धनक किसी क़बा की 
किसी रग में कसमसाई 
वो कसक किसी अदा की 
कोई हर्फ़- ए-बेमुरव्वत 
किसी कुंज-ए-लब से फूटा 
वो छनक के शीशा-ए-दिल 
तह-ए-बाम फिर से टूटा 

ये मिलन की ना मिलन की 
ये लगन की और जलन की 
जो सही हैं वारदातें 
जो गुज़र गईं हैं रातें 
जो बिसर गई हैं बातें 
कोई उन की धुन बनाएँ 
कोई उन का गीत गाएँ 
चलो फिर से मुस्कुराएँ 
चलो फिर से दिल जलाएँ 
-फैज


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