Monday, February 13, 2023

तुझ से मिलने की आरज़ू की है


मैंने हर बार तुझ से मिलते वक़्त
तुझ से मिलने की आरज़ू की है
तेरे जाने के ब'अद भी मैंने
तेरी ख़ुशबू से गुफ़्तुगू की है

जो रानाई निगाहों के लिए फ़िरदौस-ए-जल्वा है

जो रानाई निगाहों के लिए फ़िरदौस-ए-जल्वा है
लिबास-ए-मुफ़्लिसी में कितनी बे-क़ीमत नज़र आती
यहाँ तो जाज़बिय्यत भी है दौलत ही की पर्वर्दा
ये लड़की फ़ाक़ा-कश होती तो बद-सूरत नज़र आती
 

जो हक़ीक़त है उस हक़ीक़त से

जो हक़ीक़त है उस हक़ीक़त से
दूर मत जाओ लौट भी आओ
हो गईं फिर किसी ख़याल में गुम
तुम मिरी आदतें न अपनाओ
 

इश्क़ समझे थे जिस को वो शायद

इश्क़ समझे थे जिस को वो शायद
था बस इक ना-रसाई का रिश्ता
मेरे और उस के दरमियाँ निकला
उम्र भर की जुदाई का रिश्ता
 

पास रह कर जुदाई की तुझ से

पास रह कर जुदाई की तुझ से
दूर हो कर तुझे तलाश किया
मैं ने तेरा निशान गुम कर के
अपने अंदर तुझे तलाश किया

जौन एलिया

No comments: