Thursday, February 2, 2023

दिल को मेरे समझे तुम सा हमनवा कोई न था।

इक तुम्हारी याद जैसा क़ाफ़िला कोई न था।
बस तुम्हें यूँ छोड़कर अब रास्ता कोई न था। 

साथ पल दो पल दिया और कुछ चले भी दूर तक, 
पर घने इन गेसुओं सा आसरा कोई न था। 

बेकसी थी ज़िंदगी में और उदासी थी बढ़ी, 
पर हसीं वो दूसरा तो सिलसिला कोई न था। 

दूर हमसे ख़ुद रहे तुम वक्त का था खेल सब, 
दो दिलो में वैसे तो अब फ़ासला कोई न था। 

क्यों किसी पे भी लुटा दे यूँ सुधा इस जान को, 
दिल को मेरे समझे तुम सा हमनवा कोई न था। 

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