मुझमें नूर और तपिश उसने फूंकी है,
यूँही नहीं मैं आफ़ताब-ए-अर्श उजालों का!
Saturday, June 29, 2019
तपिश, यूहीँ नहीं मैं, अफताब
बड़ी तपिश है
बड़ी तपिश है अपने गुनाहों की ,
और सोचते हैं शहर का मौसम ख़ुशगवार नहीं होता!
दिनभर करते हैं नफरतें इंसान से ,
और कहते हैं राज़ी परवरदिगार नहीं होता!
तपिश, यूहीँ नहीं मैं, अफताब
मुझमें नूर और तपिश उसने फूंकी है,
यूँही नहीं मैं आफ़ताब-ए-अर्श उजालों का!
तपिश शायरी
#तपिश और धूप में हम पल रहे हैं
हमारे सर पे कब बादल रहे हैं!
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बस यही सोच कर हर #तपिश में जलता आया हूं
धूप कितनी भी तेज़ हो #समन्दर नहीं सूखा करते!
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कभी पिघलेंगे पत्थर भी मोहब्बत की तपिश पा कर,
बस यहीं सोच कर हम पत्थर से दिल लगा बैठे!
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मुझमें नूर और तपिश उसने फूंकी है
यूँही नहीं मैं आफ़ताब-ए-अर्श उजालों का!
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इश्क़ में वो कशिश है प्यारे
कि सर्द में भी तपिश है प्यारे
*
उसे ख़बर है कि अंजाम-ए-वस्ल क्या होगा ,
वो क़ुर्बतों की तपिश फ़ासले में रखती है!
Kurbat - nearness, vicinity
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~खालिद युसुफ़उसकी मोहब्बत की तपिश ने हमें यूँ राख किया
जल रहा था जो लम्हा लम्हा .. फिर पूरा ख़ाक किया!
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वस्ल ने तो मुझे शिद्दत की #तपिश में रक्खा
हिज्र था जिस ने मुझे साया-ए-दीवार दिया!
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एहतिमाम सादिक़कर ले आंच ज़रा कम अपने एहसासों की
फ़ासलों से भी तेरी तपिश सुलगाए है मुझे!
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धूप की तपिश
लुभाएगा उसे क्या चाँद का ख़ुनुक जादू
जिसे नसीब कड़ी धूप की तपिश ही नहीं!
Khunuk= happy, fortunate
जवाँ ख्वाब
कल रात कुछ जवाँ ख़्वाब,
अल्फाजों से यूँ हम बिस्तर हुए
वक़्त ए ताबीर,कलियों के जज़्बे,
शर्मा के बर्गों में छुप गए!
ताबीर--व्याख्या
जज़्बा--भावना
बर्ग--पत्ता
ज़िन्दगी, साथ, निबाह, रकीब
इस तरह ज़िंदगी ने दिया है हमारा साथ,
जैसे कोई निबाह रहा हो रक़ीब से!
~ साहिर लुधियानवी
(रक़ीब = प्रतिद्वंद्वी, प्रतिस्पर्धी Rival, Competitor)
जवाँ ख्वाब
कल रात कुछ जवाँ ख़्वाब,
अल्फाजों से यूँ हम बिस्तर हुए
वक़्त ए ताबीर,कलियों के जज़्बे,
शर्मा के बर्गों में छुप गए!
ताबीर--व्याख्या
जज़्बा--भावना
बर्ग--पत्ता
दिल की तपिश, क्या करूं
कैसे छुपाऊँ राज़ ए ग़म, दीदार ए तर को क्या करूँ ॥
दिल की तपिश को क्या करूँ, सोज़ ए जिगर को क्या करूँ!
भूल, याद
आज सपने सजा के देखेंगे,
फिर से ये दिल जला के देखेंगे!
तुम हमें भूल के देखो,
हम तुम्हें याद आ के देखेंगे!
ओस के फूल
रात की सिलवटों पे फैले हुए,
ओस के फूल चुन भी लेता हूँ।
तुम तबस्सुम से बोल देते हो,
मैं निगाहों से सुन भी लेता हूँ।
कत्ल का इल्ज़ाम
मेरे हुजरे में नहीं, और कहीं पर रख दो,
आसमां लाये हो, ले आओ ज़मीं पर रख दो!
अब कहाँ ढूंढ़ने जाओगे हमारे कातिल,
आप तो क़त्ल का इल्ज़ाम हमीं पर रख दो!
~राहत इंडोरी
Friday, June 28, 2019
Thursday, June 27, 2019
तेरे दीदार की चाहत, मुकम्मल
मुक्कमल इश्क़ की तलबगार नहीं होती आँखें,
थोड़ा - थोड़ा ही सही,
रोज़ तेरे दीदार की चाहत करती हैं!
दिल भी तू है जाँ भी तू
मेरे दिल में तू ही तू है दिल की दवा क्या करूँ
दिल भी तू है जाँ भी तू है तुझपे फ़िदा क्या करूँ
~कैफ़ी आज़मी
मैं बस एक जिस्म
तू मझमें पूरा सा है,फिर मैं क्यूँ तुझमें निस्फ़ हूँ,
रूह बसती तुझमे है मेरी ,मैं तो बस एक जिस्म हूँ!
निस्फ़- आधा
हुस्न वाले, दीदार, मिलावट
चेहरे का निस्फ़ (आधा) हिस्सा ज़ेर-ए-नक़ाब कर के,
करते हैं हुस्न वाले दीदार में मिलावट!
होठों पे हँसी
हम वहाँ हैं जहाँ से हम को,
कुछ तुम्हारी ख़बर नहीं आती!
पहले आती थी होठों पे हंसी,
अब वो भी नहीं आती!
Wednesday, June 26, 2019
Tuesday, June 25, 2019
Xxxx
कुछ अशआर,
# रूठ जाने के बाद गलती चाहे जिसकी भी हो,
बात शुरू वही करता है,जो बेपनाह मोहब्बत करता है,,
# खुद को हर बार झुका लेते थे
हम उन्हें ख़ुश करने के लिए,
अब हर बार वो समझते हैं
गलती हमारी ही है,,
# कभी कभी यूं ही चले आया करो दिल की दहलीज पर,
अच्छा लगता है,
यूं तन्हाईयों में तुम्हारा दस्तक देना,
# बदल गया वक्त,बदल गयी बातें,बदल गयी मोहब्बत,
कुछ नहीं बदला तो वो इन आंखों में नमी और। तेरी कमी,,,
मर जाना है डूबकर तुम्हारी आँखों में
तुमने अपने हुस्न पर हयात के पर्दे लगा रखे हैं
काजल क्या कम थे जो शुरमा लगा रखे हैं
दिल ने कहा कि मर जाना है हमें डूबकर तुम्हारी ऑखों में
शुक्र है की आज तुमने आखों में मैयखाने सजा रखे हैं!
शाम ऐ महफिल, शायरी की जुबाँ, हाल ऐ दिल
जमने दो आज शाम ए महफ़िल,
चलो आज शायरी की जुबां मे बहते हैं!
तुम उठा लाओ ग़ालिब की किताब,
हम अपना हाल ऐ दिल कहते हैं !
Monday, June 24, 2019
ऐसी खुदाई ना दे
खुदा ऐसे एहसास का नाम है
रहे सामने और दिखायी ना दे..
खुदा हमको ऐसी खुदाई ना दे
के अपने सिवा कुछ दिखाई ना दे...
~ बशीर बद्र
ख़ुदा कहते हैं
सामने है जो उसे लोग बुरा कहते हैं
जिस को देखा ही नहीं उस को ख़ुदा कहते हैं!
~सुदर्शन फ़ाख़िर
ख्वाहिशें
ख्वाहिशें अब मेरी बदनाम करेंगी मुझे
ख्वाब में आकर ही बेजान करेंगी मुझे
चरागों की लौ भी ने साजिशें कर लीं
रौशनी दिखाकर गुमनाम करेंगी मुझे!
इतराने लगे हैं
रुबरु होने की तो छोड़िये,
लोग गुफ़्तगू से भी कतराने लगे हैं,
गुरुर ओढे हैं रिश्ते,
अपनी हैसियत पर इतराने लगे हैं!
शुक्रिया
चोटों पे चोट देते ही जाने का शुक्रिया,
पत्थर को बुत की शक्ल में लाने का शुक्रिया,
जागा रहा तो मैंने नए काम कर लिए,
ऐ नींद आज तेरे न आने का शुक्रिया!
~कुँअर बेचैन
Saturday, June 22, 2019
अपने हिसाब से
नहीं बदल सकते हम
खुदको औरों के हिसाब से
एक लिबास मुझे भी दिया है
खुदा ने अपने हिसाब से!
Thursday, June 20, 2019
हकीक़त में प्यार
जिन्दगी में सिर्फ एक बार होता है.
निगाहें मिलते ही मिल जाए दिल से दिल,
इत्तिफाक़ ऐसा कहाँ बार बार होता है..
कमी तो नहीं है
अल्फ़ाज़ो की..काफ़ियाओ की.. कमी तो नही है,
हर ग़ज़ल मुक्कमल हो..लाज़मी तो नही है,
चलेगी क़लम तो निकलेंगे कुछ जज़्बात ज़रूर,
अभी बंजर दिल की जमीं तो नही है...
पता उसके अश्क़ो का हमें चलता भी तो कैसे,
मौजूद हवा मे कोई नमी तो नही है.....
राह के पत्थर
हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे,
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते!
कैसे दुत्कार दूं उन पत्थरों को जिन पर बेठकर में सुस्ताया था।
याद कर जब में उनसे टकराया था तो तू भी मुस्कुराया था।।
Monday, June 17, 2019
Saturday, June 15, 2019
Thursday, June 13, 2019
दिल की दुनिया
अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ,
ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे कि उड़ा भी न सकूँ,
फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया,
ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी न सकूँ!
Tuesday, June 11, 2019
तुम मिले हो तो
तुम मिले हो तो लगता है,
उम्र थम गई है और...
साल गुजर रहे हैं यूँ ही।
कुछ कलियाँ हैं अधखिलीं,
कोई महक बरकरार है यूँ ही।
उन बारिशों के पानी को,
कैद कर लिया था इन आँखों ने...
छलकने को है बेताब ये चश्म-ए-नम यूँ ही।
Monday, June 10, 2019
तेरी गली
वो माथे का मतला हो कि होंठों के दो मिसरे
बचपन की ग़ज़ल ही मेरी महबूब रही है
हम दिल्ली भी हो आये हैं लाहौर भी घूमे
ऐ यार मगर तेरी गली तेरी गली है
~ बशीर बद्र
Friday, June 7, 2019
हौसलों से उड़ते हैं
कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं,
कभी धुएं की तरह पर्बतों से उड़ते हैं....
ये कैंचियां हमें उड़ने से खाक रोकेंगी,
के हम परों से नहीं हौंसलों से उड़ते हैं!
Thursday, June 6, 2019
Tuesday, June 4, 2019
हमदर्द की तलाश में
हमदर्द की तलाश में हरदम,
हमको सिर्फ दर्द मिला है...
कोई बढ़ा न पाया हमारे साथ कदम,
क्योंकि सब को हमारी शख़्सियत पर,
अच्छाईयों का गर्द मिला है...!
Monday, June 3, 2019
जुल्फों की घनी छाँव
भीगी हुई आँखों का ये मंजर ना मिलेगा,घर छोड़कर मत जाओ कहीं घर ना मिलेगा,फिर याद बहुत आएगी जुल्फों की घनी छांव,जब धूप में शाया कोई सर पर ना मिलेगा,आँसू को कभी ओस का कतरा ना समझना ऐसा तुम्हें चाहत का समंदर ना मिलेगा!
Sunday, June 2, 2019
सवाल नहीं
वो अता करे तो शुक्र उसका
न दे तो मलाल नहीं
मेरे रब के फ़ैसले कमाल हैं
उन फ़ैसलों पे सवाल नहीं!
Saturday, June 1, 2019
विसाल ए यार
न आज लुत्फ़ कर इतना कि कल गुज़र न सके
वो रात जो कि तिरे गेसुओं की रात नहीं
ये आरज़ू भी बड़ी चीज़ है मगर हमदम
विसाल-ए-यार फ़क़त आरज़ू की बात नहीं
नोक झोंक
जिनसे मोहब्बत हो,
उनसे लड़ना भी तो होता है..
नोकझोंक और क्या,
प्यार का बढ़ना ही तो होता है।