आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
यू तो ए जिंदगी, तेरे सफ़र से शिकायते बहुत थी, मगर जब दर्द दर्ज कराने पँहुचे, तो कतारे बहुत थी!
गुलजार
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