Thursday, April 18, 2019

गँवाते चले गए

बेहतर दिनों की आस लगाते हुए 'ऐ दोस्त',
हम बेहतरीन दिन भी गँवाते चले गए!

इश्क़ में वफ़ा की आस लगाए हुए,
ताउम्र हम धोखे पे धोखे खाते चले गए!

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