जब पेशानि पर तेरे नाम के ‘बल’ पड़े,
फिर तेरी तलाश में हम भी निकल’ पड़े,
.
जिस तरह सहा है हमने तेरी बेरुख़ी को,
यूँ कोई दूसरा सहे तो दिल ‘दहल’ पड़े,
.
ज़रा चुपके से देना मेरे हाथो में हाथ सनम,
कही देख कर उफान पे फ़रिश्ते ना ‘जल’ पड़े”!
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