Thursday, April 11, 2019

सब पराए थे

जितने अपने थे सब पराए थे,
हम हवा को गले लगाए थे!
एक बंजर ज़मीन के सीने पर,
मैंने कुछ आसमान उगाए थे!

-राहत इंडोरी

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