आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
साक़ी मुझे शराब की तोहमत नहीं पसंद, मुझ को तेरी निगाह का इल्ज़ाम चाहिए!
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