आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
आओ आपस में कर लें, तूर कि बिजली तकसीन, रोशनी तुम में रहे और तड़प हम में रहे!
तूर - आसमान तकसीन - बाँटना
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