सारे शहर में चर्चा हुई, बकरी शेर खा गई ❗
Tuesday, December 4, 2018
कागज़ पर लिखी गज़ल बकरी चबा गयी
सारे शहर में चर्चा हुई, बकरी शेर खा गई ❗
Saturday, November 24, 2018
Wednesday, October 31, 2018
Tuesday, October 30, 2018
भूख
भूख ने निचोड़ कर रख दिया है जिन्हें,
उनके तो हालात ना पूछो, तो अच्छा है!
मज़बूरी में जिनकी लाज लगी दांव पर,
क्या लाई सौगात ना पूछो तो अच्छा है!
बाढ़ के पानी में बह गए छप्पर जिनके,
कैसे गुजारी रात ना पूछो तो अच्छा है!
थोड़ी सी जिन्दगी
कभी आंसू कभी ख़ुशी बेची,
हम गरीबों ने बेकसी बेची,
चंद सांसे खरीदने के लिए,
रोज थोड़ी सी जिन्दगी बेची!
खुशिओं का ताल्लुक
जब भी देखता हूँ, किसी गरीब को हँसते हुए,
यकीन आता है, खुशिओं का ताल्लुक दौलत से नहीं।
उलझी ही रहने दे
सुलझ जायेगी तो सिमटने लगेगी,
चल कुछ बातें उलझी ही रहने दे।
न वज़ह ढूँढ, न अंजाम तक जा,
बस इस कारवां को यूँ ही बहने दे।।
Friday, October 26, 2018
Thursday, October 25, 2018
एहसास
दूर हमसे यू बार बार जाया न करो,
दिल को इस क़दर तड़पाया न करो।
तुम बिन इक पल भी जी सकेंगे न हम,
ये एहसास बार बार दिलाया न करो।।
Tuesday, October 23, 2018
कहाँ हो, कैसे हो
दौलत नहीं, शोहरत नहीं,
ना वाह वाह चाहिये।
कहाँ हो ? कैसे हो ?
बस दो लब्जों की परवाह चाहिये।।
Saturday, October 13, 2018
दोस्त पुराने
अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे,
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।
हिफाज़त
जो तीर भी आता वो खाली नहीं जाता,
मायूस मेरे दिल से सवाली नहीं जाता।
काँटे ही किया करते हैं फूलों की हिफाज़त,
फूलों को बचाने कोई माली नहीं जाता।
बेमुकाम
शायद यही ज़िंदगी का इम्तिहान होता है,
कि हर एक शख्स गुलाम होता है।
कोई ढूढ़ता है ज़िंदगी भर मंज़िलों को,
कोई पाकर मंज़िलों को भी बेमुकाम होता है।।
Sunday, October 7, 2018
Tuesday, October 2, 2018
Friday, September 28, 2018
हकीम आप सा
बस आप मुस्करा दें, तबीयत ख़ुश हो जाती है मेरी,
सारे शहर में ढूँढ लिया, हकीम आप जैसा नहीं!
Tuesday, September 25, 2018
जिंदगानी
तेरे इश्क में मुझको ऐसी
हुक्मरानी चाहिए.
तेरा दिल, तेरी चाहत,
तेरे संग मुकम्मल जिंदगानी चाहिए।
तालीम ए मोहब्बत
मुकम्मल हो ही नहीं पाती कभी तालीमे मोहब्बत,
यहाँ उस्ताद भी ताउम्र एक शागिर्द रहता है!
Monday, September 24, 2018
नींद उड़ा कर
नींद उड़ा कर मेरी कहते है वो, कि सो जाओ, कल बात करेंगे,
अब वो ही हमें समझाए, कि कल तक हम, क्या करेंगें।।
Sunday, September 23, 2018
सुकून
शहर बसाकर अब,
सुकून के लिए गाँव ढूँढते हैं!
बड़े अजीब हैं हम लोग,
हाथ में कुल्हाड़ी लिए छाँव ढूँढते हैं।
Saturday, September 22, 2018
Friday, September 21, 2018
बेवफ़ा
मौत मांगते हैं तो जिन्दगी खफा हो जाती है,
जहर लेते हैं तो वो भी दवा हो जाती है।
तू ही बता ऐ दोस्त क्या करूं,
जिसे भी चाहा वो बेवफा हो जाती है!
दिल का राज
दिल का राज है लेकिन तुम्हे बता रहा हूँ मैं,
जिसे खुद भी नही मालुम उसी को चाह रहा हूँ मैं!
अब प्यार नहीं होता
अब तो किसी बात पे ऐतबार नहीं होता,
होते हैं बस समझौते दिलों के, कोई प्यार नहीं होता!
आँधियों पे भारी
उड़ान वालों उड़ानों पे वक़्त भारी है,
परों की अब के नहीं हौसलों की बारी है।
मैं क़तरा हो के तूफानों से जंग लड़ता हूँ,
मुझे बचाना समंदर की ज़िम्मेदारी है।
कोई बताये ये उसके ग़ुरूर-ए-बेजा को,
वो जंग हमने लड़ी ही नहीं जो हारी है,
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत,
ये एक चिराग़ कई आँधियों पे भारी है।
मासूमियत
मासूमियत तुझमें है पर, तू इतना मासूम भी नहीं,
कि मै तेरे क़ब्ज़े में हूँ और, तुझे मालूम भी नहीं!
मांँगी जुदाई
तुझे चाहा तो बहुत, इजहार न कर सके,
कटी गई उम्र सारी, प्यार कर न सके।
तूने मांगी भी तो, जुदाई माँगी,
और हम थे की, इनकार कर न सके।
दो पल का सुकून
मिल जाता है दो पल का सुकून चंद यारों की बंदगी में,
वरना परेशां कौन नहीं अपनी-अपनी ज़िंदगी में!
Thursday, September 20, 2018
उम्र तमाम गुजरी
चंद रोज़ की उम्र कुछ ऐसे बेलगाम गुज़री,
किसी मोड़ पर जश्न, तो कहीँ ग़म की शाम गुज़री.
ज़िंदगी जीने की फ़ुरसत ही कब मिली हमें,
जियें किस तरह, यही सीखने में उम्र तमाम गुज़री।
Tuesday, September 18, 2018
हमसफर
अपना हमसफ़र बना ले मुझे,
तेरा ही साया हूँ, अपना ले मुझे।
ये रात का सफर और भी हसीं हो जायेगा,
तू आ जा मेरे सपनों में, या बुला ले मुझे।।💖
Saturday, September 1, 2018
मुकम्मल
तुम्हारे साथ खामोश भी रहूँ तो बातें मुकम्मल हो जाती हैं।
तुम में, तुम से, तुम पर ही मेरी दुनिया मुकम्मल हो जाती है।।
अल्फाज दिल से निकलते हैं
राहों का ख़्याल है मुझे, मंज़िल का हिसाब नहीं रखता।
अल्फ़ाज़ दिल से निकलते है, मैं कोई किताब नहीं रखता।।
मुक़द्दर की बात
किस पर ठहरती है नज़र,
ये नज़र-नज़र की बात है;
कौन, किसका, कब बन जाता है अजीज,
यह मुकद्दर की बात है!
इजहार ए इश्क़
तेरे बदन से छिटककर, मेरे चेहरे से लिपटा,
इज़हार ए इश्क़, तेरा ये दुपट्टा करता है!
इजहार ए इश्क़
तेरे बदन से छिटककर, मेरे चेहरे से लिपटा,
इज़हार ए इश्क़, तेरा ये दुपट्टा करता है!
Friday, August 31, 2018
साथ शायरी
1. दिल लगाओ तो जुदा होने की हिम्मत भी रखना,
क्युकी जिंदगी में तकदीर के साथ सौदे नही होते.
2. अक्सर ठहर कर देखता हूँ अपने पैरों के निशान को,
वो भी अधूरे लगते है तेरे साथ के बिना .
3. प्यार मे कितनी ही बाधा दिखी,
फिर भी कृष्ण के साथ राधा ही दिखी
4. काश कोई अपना हो तो आईने जैसा हो,
जो हँसे भी साथ और रोए भी साथ
5. यादें बनकर जो तुम साथ रहते हो मेरे,
तेरे इतने अहसान का भी सौ बार शुक्रिया
6. जैसे जैसे दोस्तों का साथ बढ़ता जाता है,
दुश्मनों की गलियां भी गुलजार होने लगती हैं
7. आंखे बंद होने से पहले, यदि आंखे खुल जाए,
दावे के साथ कहता हूँ, पूरी ज़िंदगी सुधर जाए
8. उदासियों की वजह तो बहुत है ज़िन्दगी में,
पर खुश रहने का मज़ा आपके ही साथ है
9. एक शाम आती है, याद तुम्हारी लेकर,
एक शाम जाती है, याद तुम्हारी देकर,
पर मुझे तो उस शाम का इंतेज़ार है,
जो आए तुम्हे अपने साथ लेकर.
10. कभी पास बैठ कर गुजरा कभी दूर रह कर गुजरा
लेकिन तेरे साथ जितना भी वक्त गुजरा बहुत खूबसूरत गुजरा
11. माना कि दो किनारो का कही संगम नही होता,
मगर साथ चलना भी तो कम नहीं होता
12. करोडो लोगों की क्या बात करू,
मेरे दोनो पाॅव भी कभी साथ नहीं चलते
13. कुछ दूर हमारे साथ चलो हम दिल की कहानी कह देंगे,
समझे न जिसे तुम आँखों से वो बात ज़ुबानी कह देंगे
14. हो जायेगा सफ़र आसां आओ साथ चलकर देखें,
कुछ तुम बदलकर देखो कुछ हम बदलकर देखें.
15. जो लम्हा साथ हैं उसे जी भर के जी लेना,
कम्बख्त ये जिंदगी भरोसे के काबिल नहीं है.
16. दूरियाँ तय तो करते है पर फ़ासले कम नहीं होते,
सफ़र तो साथ ही करते है पर वो हमसफ़र नहीं होते.
17. अनदेखे बेनाम धागों में यूं बांध गया कोई,
की वो साथ भी नही और हम आजाद भी नही.
सफ़र शायरी
- एक सफ़र वो है जिस में,
- ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा,
- इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई,
- हो जायेगा सफ़र आसां आओ,
- न मंज़िलों को न हम रहगुज़र को देखते हैं,
- आए ठहरे और रवाना हो गए,
- सिर्फ़ इक क़दम उठा था ग़लत राह-ए-शौक़ में,
- तुमसे ना कट सके गा अंधेरों का ये सफ़र,
- मुसीबतें लाख आएंगी जिंदगी की राहों में,
- सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ,
Sunday, August 26, 2018
हम
कभी संभले तो कभी बिखरते आये हम,
जिंदगी के हर मोड़ पर खुद में सिमटते आये हम,
यूँ तो जमाना कभी खरीद नहीं सका हमें;
मगर प्यार के दो लफ्जो में सदा बिकते आये हम।।
ऐसा दोस्त
शिकायतें न गिलां करे, कोई दोस्त ऐसा हुआ करे,
कभी चुपके दबे क़दम, मेरे पीछे आकार हँसा करे।
कभी रो भी ले वो बेपनाह, कभी बेतहाशा उदास हो,
मैं उसके लिए दुआ करूँ, वो मेरे लिए दुआ करे।।
Monday, July 30, 2018
Sunday, July 29, 2018
लाईलाज बीमारी
दो पल का चैन, उम्र भर की बेकरारी है।
किसी ने ठीक ही कहा है, मोहब्बत लाइलाज बिमारी है।।
Saturday, July 28, 2018
फसल दुआ की
अगर आम बोने से आम मिलते हैं,
और नीम बोने से नीम,
आओ लगाकर देखें फसल दुआ की,
न कोई भूखा रहे, और न कोई यतीम!
हक से कहेंगे
"तुम" मेरे हो, ऐसी "हम", "जिद" नही करेंगे;
मगर हम "तुम्हारे" ही रहेंगे, ये तो "हम", "हक" से कहेंगे।
Friday, July 27, 2018
हम
ग़ज़लों का हुनर साकी को सिखायेंगे,
रोएंगे मगर आँसू नहीं आयेंगे;
कह देना समंदर से हम ओस के मोती हैं,
दरिया की तरह तुझसे मिलने नहीं आयेंगे।
वक़्त की यारी
वक्त की यारी तो हर कोई करता है मेरे दोस्त,
मजा तो तब है जब वक्त बदल जाये पर यार ना बदले!
जबाब खुद हो
जानते हो, फिर भी अंजान बनते हो,
इस तरहा हमें क्यों परेशान करते हो,
पूछते हो, हमें क्या पसंद है?
जवाब खुद हो, फिर भी सवाल करते हो!
खुशीओं की बारिश
दर्द की बारिशों में हम अकेले ही थे ऐ दोस्त,
जब बरसी ख़ुशियाँ, न जाने भीड़ कहां से आ गयी!
अंधेरा, इश्क़ की गली
बहुत अंधेरा है, ऐ इश्क़ तेरी गलियों में,
हमने दिल भी जलाया फिर भी रोशनी ना हुई!
Wednesday, July 25, 2018
चेहरे पे नकाब
लहज़े में बदज़ुबानी, चेहरे पे नकाब लिए फिरते हैं।
जिनके खुद के बहीखाते बिगड़े हैं, वो मेरा हिसाब लिए फिरते हैं।।
Tuesday, July 24, 2018
तुम
फ़िज़ा में महकती शाम हो तुम;
प्यार का छलकता जाम हो तुम;
सीने में छुपाये फिरते हैं याद तुम्हारी;
ज़िन्दगी का दूसरा नाम हो तुम।
Sunday, July 22, 2018
अल्फाज़
राहों का ख़्याल है मुझे, मंज़िल का हिसाब नहीं रखता!
अल्फ़ाज़ दिल से निकलते है, मैं कोई किताब नहीं रखता!!
संगत का असर
झूठ कहते हैं कि संगत का असर होता है।
आज तक ना काँटों को महकने का सलीका आया,
और ना फूलों को चुभने का तरीका आया।।
दिल की खूबी
किसी ने पूछा, दिल की खूबी क्या है!
हमने कहा,
हजारो ख्वाहिशों के नीचे दबकर भी धड़कता है।।
मीरा सा
इश्क को समझने के लिए उसे मीरा सा होना पड़ेगा,
कभी अश्क छुपाने पड़ेंगे, कभी ज़हर पीना पड़ेगा।
Saturday, July 21, 2018
शायरी नहीं
शायरी नहीं,
यह लफज़ो में लिपटे मखमली अहसास हैं हमारे,
सिर्फ उनके लिए जो बेहद खास हैं हमारे।
कभी फर्ज़ कभी अरमान
उम्र गुज़र रही है, तराज़ू के काँटे को संभालने में,
कभी फ़र्ज़ भारी होते हैं, तो कभी अरमान!