Tuesday, December 4, 2018

कागज़ पर लिखी गज़ल बकरी चबा गयी

कागज़ पर लिखी गज़ल, बकरी  चबा गयी,
सारे शहर  में चर्चा हुई,  बकरी शेर  खा गई ❗

Saturday, November 24, 2018

आप आए हैं तो

आप आए हैं तो, अब घर में उजाला है बहुत,
कहिए, जलती रहे, या शमाँ बुझा दी जाए!

Wednesday, October 31, 2018

जिंदगी

प्रश्नपत्र है जिंदगी,
जस की तस स्वीकार्य!
कुछ भी वैकल्पिक नहीं,
सभी प्रश्न अनिवार्य!

Tuesday, October 30, 2018

भूख

भूख ने निचोड़ कर रख दिया है जिन्हें,
उनके तो हालात ना पूछो, तो अच्छा है!
मज़बूरी में जिनकी लाज लगी दांव पर,
क्या लाई सौगात ना पूछो तो अच्छा है!
बाढ़ के पानी में बह गए छप्पर जिनके,
कैसे गुजारी रात ना पूछो तो अच्छा है!

अजीब मिठास

अजीब मिठास है मुझ गरीब के खून में भी,
जिसे भी मौका मिलता है वो पीता जरुर है!

आबाद

वो जिनके हाथ में हर वक्त छाले रहते हैं,
आबाद उन्हीं के दम पर महल वाले रहते हैं!

थोड़ी सी जिन्दगी

कभी आंसू कभी ख़ुशी बेची,
हम गरीबों ने बेकसी बेची,
चंद सांसे खरीदने के लिए,
रोज थोड़ी सी जिन्दगी बेची!

खुशिओं का ताल्लुक

जब भी देखता हूँ, किसी गरीब को हँसते हुए,
यकीन आता है, खुशिओं का ताल्लुक दौलत से नहीं।

कशमकश

उलझा रही है मुझको,
यही कश्मकश आजकल!
तू आ बसी है मुझमें,
या मैं तुझमें कहीं खो गया हूँ? 😉

उलझी ही रहने दे

सुलझ जायेगी तो सिमटने लगेगी,
चल कुछ बातें उलझी ही रहने दे।
न वज़ह ढूँढ, न अंजाम तक जा,
बस इस कारवां को यूँ ही बहने दे।।

Friday, October 26, 2018

सफर

अभी तो चंद लफ्जों में समेटा है तुझे,
मेरी किताबों में तेरा सफर अभी बाकी है।

Thursday, October 25, 2018

एहसास

दूर हमसे यू बार बार जाया न करो,
दिल को इस क़दर तड़पाया न करो।
तुम बिन इक पल भी जी सकेंगे न हम,
ये एहसास बार बार दिलाया न करो।।

Tuesday, October 23, 2018

कहाँ हो, कैसे हो

दौलत नहीं, शोहरत नहीं,
ना वाह वाह चाहिये।
कहाँ हो ? कैसे हो ?
बस दो लब्जों की परवाह चाहिये।।

Saturday, October 13, 2018

बुरा वक़्त

दिल से निकली ही नहीं शाम जुदाई वाली,
तुम तो कहते थे बुरा वक़्त गुज़र जाता है।

दोस्त पुराने

अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे​,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे​,
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे​,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।

हिफाज़त

जो तीर भी आता वो खाली नहीं जाता,
मायूस मेरे दिल से सवाली नहीं जाता।
काँटे ही किया करते हैं फूलों की हिफाज़त,
फूलों को बचाने कोई माली नहीं जाता।

बेमुकाम

शायद यही ज़िंदगी का इम्तिहान होता है,
कि हर एक शख्स गुलाम होता है।
कोई ढूढ़ता है ज़िंदगी भर मंज़िलों को,
कोई पाकर मंज़िलों को भी बेमुकाम होता है।।

Sunday, October 7, 2018

कमी

कौन है जिसके पास कमी नहीं है।
आसमाँ के पास भी जमीं नही है।।

खास लिखते हैं

दिल के सच्चे लोग कुछ एहसास लिखते है,
मामूली शब्दों में ही सही, कुछ खास लिखते है!

कसमकश

इसका दिल रखा और कभी उसका दिल रखा,
इसी कसमकश में भूल गए खुद का दिल कहाँ रखा!

कमजोरियाँ

कमजोरियाँ मत ढूँढना मुझ में ए दोस्त,
एक तू भी शामिल है मेरी कमजोरियों में।।

Tuesday, October 2, 2018

कसमकश

उलझा रही है मुझको,
यही कश्मकश आजकल!
तू आ बसी है मुझमें,
या मैं तुझमें कहीं खो गया हूँ??

Friday, September 28, 2018

हकीम आप सा

बस आप मुस्करा दें, तबीयत ख़ुश हो जाती है मेरी,
सारे शहर में ढूँढ लिया, हकीम आप जैसा नहीं!

Tuesday, September 25, 2018

जिंदगानी

तेरे इश्क में मुझको ऐसी
हुक्मरानी चाहिए.
तेरा दिल, तेरी चाहत,
तेरे संग मुकम्मल जिंदगानी चाहिए।

बेहतरीन होना

दुश्मनी हो जाती है मुफ़्त में सैकड़ों से 'साहेब',
इंसान का 'बेहतरीन' होना भी गुनाह है!

तालीम ए मोहब्बत

मुकम्मल हो ही नहीं पाती कभी तालीमे मोहब्बत,
यहाँ उस्ताद भी ताउम्र एक शागिर्द रहता है!

Monday, September 24, 2018

नींद उड़ा कर

नींद उड़ा कर मेरी कहते है वो, कि सो जाओ, कल बात करेंगे,
अब वो ही हमें समझाए, कि कल तक हम, क्या करेंगें।।

ख्वाब

ऐसा नहीं की जिंदगी में, कोई आरजू ही नहीं।
पर वो ख्वाब पूरा कैसे करूँ, जिसमें तू ही नहीं!

Sunday, September 23, 2018

सुकून

शहर बसाकर अब,
सुकून के लिए गाँव ढूँढते हैं!
बड़े अजीब हैं हम लोग,
हाथ में कुल्हाड़ी लिए छाँव ढूँढते हैं।

Saturday, September 22, 2018

फितूर

फितूर होता है हर उम्र में जुदा जुदा,
खिलौने, माशूका, रुतबा और फिर खुदा।

मेरा दिन

तेरी हर याद से शुरु होती है मेरी हर सुबह,
फिर ये कैसे कह दुँ कि मेरा दिन खराब रहा!

Friday, September 21, 2018

बेवफ़ा

मौत मांगते हैं तो जिन्दगी खफा हो जाती है,
जहर लेते हैं तो वो भी दवा हो जाती है।
तू ही बता ऐ दोस्त क्या करूं,
जिसे भी चाहा वो बेवफा हो जाती है!

दिल का राज

दिल का राज है लेकिन तुम्हे बता रहा हूँ मैं,
जिसे खुद भी नही मालुम उसी को चाह रहा हूँ मैं!

हम निखर गए

दिल टूटा मेरा और,
ख्वाब बिखर गए
दर्द मिला इश्क मे इतना,
कि जख्मों से हम निखर गए!

लफ्ज़ मुकर जाते

आँखे थीं जो कह गई सब कुछ,
लफ्ज होते तो मुकर जाते।

अब प्यार नहीं होता

अब तो किसी बात पे ऐतबार नहीं होता,
होते हैं बस समझौते दिलों के, कोई प्यार नहीं होता!

आँधियों पे भारी

उड़ान वालों उड़ानों पे वक़्त भारी है,
परों की अब के नहीं हौसलों की बारी है।
मैं क़तरा हो के तूफानों से जंग लड़ता हूँ,
मुझे बचाना समंदर की ज़िम्मेदारी है।
कोई बताये ये उसके ग़ुरूर-ए-बेजा को,
वो जंग हमने लड़ी ही नहीं जो हारी है,
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत,
ये एक चिराग़ कई आँधियों पे भारी है।

मासूमियत

मासूमियत तुझमें है पर, तू इतना मासूम भी नहीं,
कि मै तेरे क़ब्ज़े में हूँ और, तुझे मालूम भी नहीं!

मांँगी जुदाई

तुझे चाहा तो बहुत, इजहार न कर सके,
कटी गई उम्र सारी, प्यार कर न सके।
तूने मांगी भी तो, जुदाई माँगी,
और हम थे की, इनकार कर न सके।

हकीकत या फरेब

तू हकीकत-ए-इश्क है, या कोई फरेब,
ज़िन्दगी में आती नहीं, ख़्वाबों से जाती नहीं!

दो पल का सुकून

मिल जाता है दो पल का सुकून चंद यारों की बंदगी में,
वरना परेशां कौन नहीं अपनी-अपनी ज़िंदगी में!

Thursday, September 20, 2018

उम्र तमाम गुजरी

चंद रोज़ की उम्र कुछ ऐसे बेलगाम गुज़री,
किसी मोड़ पर जश्न, तो कहीँ ग़म की शाम गुज़री.
ज़िंदगी जीने की फ़ुरसत ही कब मिली हमें,
जियें किस तरह, यही सीखने में उम्र तमाम गुज़री।

Tuesday, September 18, 2018

हमसफर

अपना हमसफ़र बना ले मुझे,
तेरा ही साया हूँ, अपना ले मुझे।
ये रात का सफर और भी हसीं हो जायेगा,
तू आ जा मेरे सपनों में, या बुला ले मुझे।।💖

Saturday, September 1, 2018

मुकम्मल

तुम्हारे साथ खामोश भी रहूँ तो बातें मुकम्मल हो जाती हैं।
तुम में, तुम से, तुम पर ही मेरी दुनिया मुकम्मल हो जाती है।।

अल्फाज दिल से निकलते हैं

राहों का ख़्याल है मुझे, मंज़िल का हिसाब नहीं रखता।
अल्फ़ाज़ दिल से निकलते है, मैं कोई किताब नहीं रखता।।

तराशना

ज़िन्दगी ये तेरी खरोंचे हैं मुझ पर, या;
फिर तू मुझे तराशने की कोशिश में है।

खता ये हुई

गुनाह किये होते, तो मांफ भी हो जाते साहिब;
ख़ता तो मुझसे ये हुई, कि उनसे इश्क़ हो गया।

मुक़द्दर की बात

किस पर ठहरती है नज़र,
ये नज़र-नज़र की बात है;
कौन, किसका, कब बन जाता है अजीज,
यह मुकद्दर की बात है!

😊सर उठा के जीओ 😊

तुम भी सर उठा कर,
जी सकते हो दुनिया में;
बस एक दिन,
मोबाइल घरपर ही भूल जाना। 😊

इजहार ए इश्क़

‎तेरे बदन से छिटककर‬, मेरे चेहरे से लिपटा‬,
‪‎इज़हार ए इश्क़, तेरा‬ ‎ये दुपट्टा करता है!

दिल कि सुनाते हैं

कभी आओ, बैठते है, बतलाते है;
दुनिया की फिक्र छोड़, दिल की सुनाते है!

हमारी रज़ा?

आंखें पढ़ो, और जानो हमारी  रज़ा क्या है,
हर बात लफ़्ज़ों से बयान हो, तो मज़ा क्या है?

इजहार ए इश्क़

‎तेरे बदन से छिटककर‬, मेरे चेहरे से लिपटा‬,
‪‎इज़हार ए इश्क़, तेरा‬ ‎ये दुपट्टा करता है!

तराशना

ज़िन्दगी ये तेरी खरोंचे हैं मुझ पर, या;
फिर तू मुझे तराशने की कोशिश में है।

Friday, August 31, 2018

साथ शायरी



1. दिल लगाओ तो जुदा होने की हिम्मत भी रखना,
क्युकी जिंदगी में तकदीर के साथ सौदे नही होते.

 2. अक्सर ठहर कर देखता हूँ अपने पैरों के निशान को,
वो भी अधूरे लगते है तेरे साथ के बिना .

3. प्यार मे कितनी ही बाधा दिखी,
फिर भी कृष्ण के साथ राधा ही दिखी

4. काश कोई अपना हो तो आईने जैसा हो,
जो हँसे भी साथ और रोए भी साथ

5. यादें बनकर जो तुम साथ रहते हो मेरे,
तेरे इतने अहसान का भी सौ बार शुक्रिया

6. जैसे जैसे दोस्तों का साथ बढ़ता जाता है,
दुश्मनों की गलियां भी गुलजार होने लगती हैं

7. आंखे बंद होने से पहले, यदि आंखे खुल जाए,
दावे के साथ कहता हूँ, पूरी ज़िंदगी सुधर जाए

8. उदासियों की वजह तो बहुत है ज़िन्दगी में,
पर खुश रहने का मज़ा आपके ही साथ है

9. एक शाम आती है, याद तुम्हारी लेकर,
एक शाम जाती है, याद तुम्हारी देकर,
पर मुझे तो उस शाम का इंतेज़ार है,
जो आए तुम्हे अपने साथ लेकर.

10. कभी पास बैठ कर गुजरा कभी दूर रह कर गुजरा
लेकिन तेरे साथ जितना भी वक्त गुजरा बहुत खूबसूरत गुजरा

11. माना कि दो किनारो का कही संगम नही होता,
मगर साथ चलना भी तो कम नहीं होता

12. करोडो लोगों की क्या बात करू,
मेरे दोनो पाॅव भी कभी साथ नहीं चलते

13. कुछ दूर हमारे साथ चलो हम दिल की कहानी कह देंगे,
समझे न जिसे तुम आँखों से वो बात ज़ुबानी कह देंगे

14. हो जायेगा सफ़र आसां आओ साथ चलकर देखें,
कुछ तुम बदलकर देखो कुछ हम बदलकर देखें.

15. जो लम्हा साथ हैं उसे जी भर के जी लेना,
कम्बख्त ये जिंदगी भरोसे के काबिल नहीं है.

16. दूरियाँ तय तो करते है पर फ़ासले कम नहीं होते,
सफ़र तो साथ ही करते है पर वो हमसफ़र नहीं होते.

17. अनदेखे बेनाम धागों में यूं बांध गया कोई,
की वो साथ भी नही और हम आजाद भी नही.

सफ़र शायरी


  1. एक सफ़र वो है जिस में,
पाँव नहीं दिल दुखता है!

 

  1. ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा,
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा!

 

  1. इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई,
हम सोए रात थक कर सो गई!

 

  1. हो जायेगा सफ़र आसां आओ,
साथ चलकर देखें,

कुछ तुम बदलकर देखो  कुछ,

हम बदलकर देखें!

 

  1. मंज़िलों को हम रहगुज़र को देखते हैं,
अजब सफ़र है कि बस हम-सफ़र को देखते हैं!

 

  1. आए ठहरे और रवाना हो गए,
ज़िंदगी क्या है, सफ़र की बात है!

 

  1. सिर्फ़ इक क़दम उठा था ग़लत राह--शौक़ में,
मंज़िल तमाम उम्र मुझे ढूँढती रही!

 

  1. तुमसे ना कट सके गा अंधेरों का ये सफ़र,
कि अब शाम हो रही है ,मेरा हाथ थाम लो!

 

  1. मुसीबतें लाख आएंगी जिंदगी की राहों में,
रखना तू सबर,

मिल जाएगी तुझे मंजिल इक दिन

बस जारी रखना तू सफ़र!

 

10. इन अजनबी सी राहों में, जो तू मेरा हमसफ़र हो जाये,

बीत जाए पल भर में ये वक़्त, और हसीन सफ़र हो जाये.

 

  1. सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ,
वो जिंदगी ही क्या जो छाँव छाँव चली!

 

12. मुझे ख़बर थी मिरा इंतिज़ार घर में रहा,

ये हादसा था कि मैं उम्र भर सफ़र में रहा!

किसी को निकलते ही मिल गई मंज़िल,

कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा!!

 

13. आज फिर से उसकी यादों में खो गया मैं,

पूछा जो मुझसे किसी ने मुहब्बत का सफ़र कैसा था!

 

14. अजीब सी पहेलियाँ हैं मेरे हाथों की लकीरों में,

लिखा तो है सफ़र मगर मंज़िल का निशान नहीं!
 
 

Sunday, August 26, 2018

हम

कभी संभले तो कभी बिखरते आये हम,
जिंदगी के हर मोड़ पर खुद में सिमटते आये हम,
यूँ तो जमाना कभी खरीद नहीं सका हमें;
मगर प्यार के दो लफ्जो में सदा बिकते आये हम।।

ऐसा दोस्त

शिकायतें न गिलां करे, कोई दोस्त ऐसा हुआ करे,
कभी चुपके दबे क़दम, मेरे पीछे आकार हँसा करे।
कभी रो भी ले वो बेपनाह, कभी बेतहाशा उदास हो,
मैं उसके लिए दुआ करूँ, वो मेरे लिए दुआ करे।।

Monday, July 30, 2018

होंठ, शराब

छीनकर हाथों से जाम वो इस अंदाज़ से बोली,
कमी क्या है इन होठों में जो तुम शराब पीते हो।

Sunday, July 29, 2018

लाईलाज बीमारी

दो पल का चैन, उम्र भर की बेकरारी है।
किसी ने ठीक ही कहा है, मोहब्बत लाइलाज बिमारी है।।

Saturday, July 28, 2018

वफ़ा किजिये

फ़लक तक साथ चलने की न दुआ कीजिए,
ज़िंदा हूँ ज़मीं पर मैं, पहले यहाँ वफ़ा कीजिए. 

हर मजहब

झुका लेता हूँ अपना सर, हर मज़हब के आगे,
पता नहीं किस दुआ में तुझे, मेरा होना लिखा हो.

पिछला साल

पिछला साल बातों में बित गया
दुआ करो ये साल मुलाकातों में बीते.

यकीन और दुआ

यकीन और दुआ नज़र नहीँ आती मगर,
दिल को खुशनुमा जरूर बना देती है.

दवा दुआ

ऐसे माहौल मे दवा क्या है, दुआ क्या है,
जहाँ कातिल ही खूद पूछे की हुआ क्या है!

संभाल सकूँ

दुआ करो मैं कोई रास्ता निकाल सकूँ,
तुम्हे भी देख सकूँ, खुद को भी सम्भाल सकूँ!

फसल दुआ की

अगर आम बोने से आम मिलते हैं,
और नीम बोने से नीम,
आओ लगाकर देखें फसल दुआ की,
न कोई भूखा रहे, और न कोई यतीम!

नमी

बंजर नहीं हूं मैं, मुझमें बहुत सी नमी है,
दर्द बयां नही करता, बस इतनी सी कमी है!

हक से कहेंगे

"तुम" मेरे हो, ऐसी "हम", "जिद" नही करेंगे;
मगर हम "तुम्हारे" ही रहेंगे, ये तो "हम", "हक" से कहेंगे।

खुद से पराया

हर कोई अपना लगता था कभी हमको भी,
आज इतने अकेले हैं कि खुद से ही पराये हो गये।

लफ़्ज़ों की दगाबाज़ी

जो महसूस करते हैं बयाँ कर देते हैं,
हमसे लफ़्ज़ों की दगाबाज़ी नहीं होती!

पाया ही नहीं

डर ये भी है कि मैं उसे खो न दूँ,
सच ये भी है कि मैंने उसे पाया ही नहीं।

फकीर, नबाब

किस्मत के तराज़ू में तोलो तो फ़कीर हैं हम,
और दर्द-ए-दिल में हम सा नवाब कोई नहीं!

Friday, July 27, 2018

हम

ग़ज़लों का हुनर साकी को सिखायेंगे,
रोएंगे मगर आँसू नहीं आयेंगे;
कह देना समंदर से हम ओस के मोती हैं,
दरिया की तरह तुझसे मिलने नहीं आयेंगे​​।

वक़्त की यारी

वक्त की यारी तो हर कोई करता है मेरे दोस्त,
मजा तो तब है जब वक्त बदल जाये पर यार ना बदले!

जबाब खुद हो

जानते हो, फिर भी अंजान बनते हो,
इस तरहा हमें क्यों परेशान करते हो,
पूछते हो, हमें क्या पसंद है?
जवाब खुद हो, फिर भी सवाल करते हो!

किस्सा

तेरे होने का जिसमें किस्सा है,
वही मेरी जिंदगी का बेहतरीन हिस्सा है।

गाँव, शहर

शहर में रूख्सती महफूज़ है दहलीज तक,
गाँव में अब भी सड़क तक छोड़ने आते हैं लोग।

खुशीओं की बारिश

दर्द की बारिशों में हम अकेले ही थे ऐ दोस्त,
जब बरसी ख़ुशियाँ, न जाने भीड़ कहां से आ गयी!

अंधेरा, इश्क़ की गली

बहुत अंधेरा  है, ऐ इश्क़ तेरी गलियों में,
हमने दिल भी जलाया फिर भी रोशनी ना हुई!

Wednesday, July 25, 2018

अदब से

नीचे गिरे सूखे पत्तों पर,
अदब से चलना ज़रा।
कभी कड़ी धूप में,
तुमने इनसे पनाह माँगी थी।।

समझदारी

खुद की समझदारी ही अहमियत रखती है साहब,
वरना अर्जुन और दुर्योधन का गुरू तो एकही था।

मुकदमा

कैसे लड़ूँ मुक़दमा खुद से उसकी यादों का,
ये दिल भी वकील उसका, ये जान भी गवाह उसकी!

चेहरे पे नकाब

लहज़े में बदज़ुबानी, चेहरे पे नकाब लिए फिरते हैं।
जिनके खुद के बहीखाते बिगड़े हैं, वो मेरा हिसाब लिए फिरते हैं।।

Tuesday, July 24, 2018

तुम

फ़िज़ा में महकती शाम हो तुम;
प्यार का छलकता जाम हो तुम;
सीने में छुपाये फिरते हैं याद तुम्हारी;
ज़िन्दगी का दूसरा नाम हो तुम।

Sunday, July 22, 2018

अल्फाज़

राहों का ख़्याल है मुझे, मंज़िल का हिसाब नहीं रखता!
अल्फ़ाज़ दिल से निकलते है, मैं कोई किताब नहीं रखता!!

संगत का असर

झूठ कहते हैं कि संगत का असर होता है।
आज तक ना काँटों को महकने का सलीका आया,
और ना फूलों को चुभने का तरीका आया।।

आरजू लम्हें

आरज़ू होनी चाहिए, किसी को याद करने की।
लम्हें तो, अपने आप ही मिल जाते हैं।।

दिल की खूबी

किसी ने पूछा, दिल की खूबी क्या है!
हमने कहा,
हजारो ख्वाहिशों के नीचे दबकर भी धड़कता है।।

फर्क

इतना ही फर्क पड़ता है, बड़े होने के बाद,
पहले आती थी, अब लानी होती है चेहरे पर हँसी।

समझदार

जिस-जिस को मिली खबर, सबने एक ही सवाल किया,
तुमने क्यों की मोहब्बत, तुम तो समझदार थे।

मीरा सा

इश्क को समझने के लिए उसे मीरा सा होना पड़ेगा,
कभी अश्क छुपाने पड़ेंगे, कभी ज़हर पीना पड़ेगा।

तेरी कमी

भरने को तो हर ज़ख्म भर जाएगा लेकिन,
कैसे भरेगी वो " जगह " जहाँ " तेरी " कमी होगी!

ख़ुद की ही

खुद की समझदारी ही, अहमियत रखती है साहब,
वरना अर्जुन और दुर्योधन का गुरू तो एक ही था।

Saturday, July 21, 2018

अदाओं में

मोहब्बत सिर्फ लफ्जो से बयां नहीं होती,
अदाओ में भी कुछ राज छूपे होते है!

शायरी नहीं

शायरी नहीं,
यह लफज़ो में लिपटे मखमली अहसास हैं हमारे,
सिर्फ  उनके लिए जो बेहद खास हैं हमारे।

इतना शबाब

खुदा किसी हसीन को इतना शबाब भी न दे,
कि हम सलाम करें और वह जवाब भी न दे!

तेरी कमी

भरने को तो हर ज़ख्म भर जाएगा लेकिन,
कैसे भरेगी वो " जगह " जहाँ " तेरी " कमी होगी!

कभी फर्ज़ कभी अरमान

उम्र गुज़र रही है, तराज़ू के काँटे को संभालने में,
कभी फ़र्ज़ भारी होते हैं, तो कभी अरमान!

दुनिया की रस्म

महफ़िल में गले मिल के वो धीरे से कह गए,
ये दुनिया की रस्म है,इसे मोहब्बत न समझ लेना।