आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
बहुत अंधेरा है, ऐ इश्क़ तेरी गलियों में, हमने दिल भी जलाया फिर भी रोशनी ना हुई!
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