आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
शोखे नज़र को बिजलियाँ दिल पै मेरे गिराए जा, मेरा न कुछ ख्याल कर तू यूँ ही मुस्कराए जा ।
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