जानते हो, फिर भी अंजान बनते हो,
इस तरहा हमें क्यों परेशान करते हो,
पूछते हो, हमें क्या पसंद है?
जवाब खुद हो, फिर भी सवाल करते हो!
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आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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