जवानी चांदनी पर आई हुई मालूम होती है,
हवा भी आज अलसाई हुई मालूम होती है।
दबी भीनी, गुलाबी , रेशमी मुसकान होंठों में
किसी की आँख शरमाई हुई मालूम होती है।।
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आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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