मुश्किलें दिल के इरादे आजमाती हैं,
खजा के परदे निगाहों से हटाती हैं।
हौसला मत हार गिर कर ओ मुसाफिर,
ठोकरें इंसान को चलना सिखाती हैं ॥
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
No comments:
Post a Comment