उठो भी कि अब दिन हैं बदलने वाले,
मंज़िल पै पहुँच जायेंगे चलने वाले।
दीपक के लिए हठ ऐ पतंगे! मत कर,
बे-आग भी जल जाते हैं जलने वाले।।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
No comments:
Post a Comment